Tuesday 21 April 2020

कार्तिक और निम्मो की प्रेमकथा

कार्तिक और निम्मो की प्रेमकथा


1


अँधेरी रात में एक लौ (Flame) कहीं से सरसराती हुई आती है और दूसरे लौ से बात करती है। सिर्फ लौ ही दिखाई देता है और फिर आवाज सुनाई देती है। 
हाँ , हैलो -- अब यहीं मंडराते रहोगे या उधर भी चलोगे। 
मतलब की तुम्हारे कब्रिस्तान की तरफ। 
वो भी तो यहीं है। कौन  सा दूर है। मुझे मार दिया और कब्रिस्तान में दफना दिया , तुम्हें मार दिया श्मशान में जला दिया। 
सही है। जीते जी कभी शायद किसी को भी ये एहसास नहीं होता है कि इंसान सिर्फ बॉडी नहीं है।  इंसान बॉडी के अंदर एक एनर्जी है ,रूह है , आत्मा है। 
इतना बकवास तो तुम तब भी कर लेते थे जब जिन्दा थे। eternal  love  की बात करते थे और जैसे ही मिलती थी ऐसे चुम्मा चाटी करने लगते थे कि मानो फिर कभी मिलना ही नहीं है। या अल्ला कितने पागल थे तुम। 
( दो प्रेमी को आप प्यार करते देखते हैं , संवाद और दृश्य साथ साथ चलते हैं। )
पागल ही था। भगवान जानता है तुम्हें ही भगवान मानता था। तुम्हें प्यार करने के लिए ही छूता था , चूमता था। और कोई तरीका होता है प्यार करने का क्या ? तुमने कहा कि तुम ऐसे करने लगते थे जैसे कि फिर कभी मिलना ही नहीं होगा। बताओ फिर कभी क्या हम मिल सकते हैं। फिर क्या कभी एक दूसरे की साँसों को महसूस कर सकते हैं। 
(यहाँ से दोनों लौ (फ्लेम ) की शकल दिखाई देने लगती है लेकिन इस तरह जैसी पानी में उनका शैडो हो या हलकी हवा से भी वो हिलते नज़र आते हों , एक डेड बॉडी से निकले रूह की तस्वीर हैं दोनों , जो कभी फ्लेम तो कभी फ्लेम से ही अपनी शक्ल में आते दिखाई देते हैं। हाँ जब ये दोनों उस वक्त की बात करते हैं तब जिन्दा थे तब बिलकुल जिंदगी की तस्वीर होती है )
जब जिन्दा थे , एक जिस्म था।  तुम क्या कहते थे - जानू यू आर ए ब्यूटीफुल सोल इन ए परफेक्ट बॉडी         ( हंसती है ) वही परफेक्ट बॉडी दफना दिया।  अब तो सोल है , रूह --बातें कर रहे हैं , लेकिन मिले कैसे ?
वही तो रूह , सोल , आत्मा सब तभी तक , जबतक जिंदगी है , रूह को सहेजने के लिए जिस्म है। हम वही बातें याद कर रहे हैं जब साथ साथ थे और जिन्दा थे , वही दास्ताँ बयां कर रहे हैं जब हमारे साथ जिस्म था। यहाँ से हम कोई जिंदगी शुरू नहीं कर सकते. कोई शक्ल ही नहीं हैं हमारी। न हम एक दूसरे को छू सकते हैं न देख सकते हैं। 
महसूस तो कर सकते हैं न। मेरी खाला मुझे समझाने आई। बोली देख निम्मो हिन्दू लोग काफिर होते हैं , उनके साथ रहना उठना बैठना तो ठीक है , लेकिन रिश्ता  ना --ना -- ये नापाक है। काफिरों से रिश्ता रखोगी तो अल्लाह जहन्नुम में भी जगह नहीं देगा। (हंसती है ) जिस्म को दफना दिया और निम्मो की रूह उसी काफिर की रूह के साथ बकवास कर रही है। अल्लाह तो कहीं नहीं मिला , जन्नत और जहन्नुम भी नहीं देखे। 
(लड़का भी हँसता है ) मैंने भी न तो स्वर्ग देखे और न ही नर्क। स्वर्ग में एक बैकुंठ धाम होता है , जहाँ पुण्यात्माओं को जगह मिलती है। 
जैसे कि बम फोड़ने वाले जेहादियों को जन्नत में अप्सराएं मिलती हैं। ( दोनों ठहाके लगाते हैं ). 
इतनी सारी कहानियाँ जीते जी ही लोग बना पाते हैं। 
हाँ जीते जी ही जंजीरों में जकड़े होते हैं। 
अगर कहीं ईश्वर  अल्ला गॉड रब है तो उसे चाहिए कि एकबार सभी जिन्दा लोगों को मार दे। 
तुम्हारा मतलब बॉडी से रूह को आजाद कर दे। 
अरे हमारी तरह कर दे , तो सबको समझ में आ जायेगा ईश्वर अल्ला का ढकोसला।  जन्नत -जहन्नुम की बेकार सी कहानी मरकर जिन्दा हुए लोग क्या कभी बनाएंगे। 
सुनो आदमी और आदमी में फर्क करके पूरी दुनिया कायम है और तक़रीबन छः अरब लोग इसी धरती पर जी रहे हैं। 
धर्म के नाम पर देश हैं , नस्ल के नाम पर लड़ाइयाँ होती हैं जिसका रूह ,आत्मा ,सोल से कोई ताल्लुक नहीं है। 
अरे एकबार फिर जिन्दा होते तो मजहबी धर्मांध लोगों को एक लफाड़ा मारकर समझाते  कि वेवकूफों तुम सब एक जैसे इंसान हो , सबका डीएनए इंसानी डीएनए है।  इस्लाम , बौद्ध , क्रिस्चियन या हिन्दू जैसा कुछ होता ही नहीं जो कि ब्लड सैंपल में दिखे। 
लेकिन अफ़सोस मेरे प्यारे रूह , मेरे प्रेमी , मेरे कार्तिक - तुम अपने शरीर से जुदा हो चुके हो।  अब ऐसा नहीं कर सकते। 
सच में यार ! इन दुनियावालों पर बहुत गुस्सा आ रहा है। जीते जी कहते थे मरने के बाद इंसान तारा बन जाता है , हम तो यहीं हैं इसी धरती पर --
उसी छोरी के साथ बकवास करते हुए जिसकी वजह से मरे ( दोनों हँसते हैं )
अरे वो देखो - इधर आ रहा है , चलो यहाँ से। 
अरे वो क्या हमें देखेगा - उल्लू के पठ्ठे को प्रधानमंत्री मोदी का स्वच्छता अभियान नहीं दिख रहा है। 
सब दिखता है।  कब्रिस्तान और श्मशान के आसपास जरा शांति रहती है , खुद को हल्का करने में आनंद आता है।  चलो यहाँ से।  बदबू आएगी। 
अरे कौन सी खुशबु और बदबू निम्मो - हम जिंदगी से परे हैं।  चलो तुम्हारे कब्रिस्तान के तरफ चलते हैं। 
चलो। 


2


अरे इतने सारे लोग रात के अँधेरे में हाथ में कैंडल जलाये हुए किधर जा रहे हैं। 
बुद्धू कैंडल मार्च है। 
कैंडल मार्च किसलिए ?
तुम्हारे लिए - नारा सुनो - कार्तिक को इंसाफ दो 
हाँ - मुझे इंसाफ दिलाने के लिये इतने सारे लोग। 
हाँ , और भी लोग जुड़ेंगे।  अगर इस मुहीम को गर्म कर सकेंगे तो इसपर अच्छी खासी राजनीति हो सकती है। 
राजनीति यानि कि वोट पॉलिटिक्स।  लेकिन निम्मो हमारे प्रेम में पॉलिटिक्स  कहाँ था। 
पॉलिटिक्स वहीँ होता है जहाँ उसकी संभावना दिखाई दे जाय। तुम हिन्दू थे , एक मुस्लिम लड़की से प्यार करते थे और तुम्हारी हत्या उसी मुस्लिम लड़की के अब्बा ने कर दी। 
अच्छा नफरत की राजनीति। 
हाँ। नफरत की जिंदगी भी तो हमने जी। हमारे अब्बा ने तुम्हारी हत्या इसीलिए की , कि तुम हिन्दू थे। मेरे किसी बुआ या मामा के बेटे होते तो सब कबूल हो जाता। 
अब मैं सोचकर तो पैदा हुआ नहीं और ना ही प्लान बनाकर तुमसे प्यार किया। इंसान प्रेम से ही पैदा होता है और प्रेम करने के लिए ही पैदा होता है।  बांकी मुझे कुछ समझ में नहीं आती। 
इस कैंडल मार्च से मुस्लिमों के प्रति नफरत पैदा होगी।  इसमें कोई शक नहीं कि मेरा अब्बा दरिंदा था , खटाखट बकड़े काटता था , तुम्हें भी काट दिया , लेकिन उसकी दरिंदगी मजहबी थी और ऐसे ही अधिकतर लोग हैं। वो जो सबसे आगे कैंडल लेकर है , MLA का चुनाव लड़ने वाला है , हिन्दुओं का वोट तुम्हारे नाम से हासिल कर लेगा। पॉलिटिक्स में हत्या या बलात्कार का सीधा फायदा politicians उठाते हैं और ऐसा नहीं करेंगे तो उनकी मिटटी पलीद हो जाएगी। 
साला मुझे मारा तुम्हारे अब्बा ने मजहबी कारन से और यहाँ उसका राजनीतिकरण हो गया।  बड़ी फंटूश दुनिया है भाई। दिमाग में प्रेम का नशा था , थोड़ा बहुत दुनियादारी का कचरा होता तो जिंदगी को जरा हिसाब किताब से जीता। तू भी निम्मो पागल ही थी , अपनी जान गवां बैठी।  अरे जिन्दा रहती तो दुनिया देखती।  मेरी हत्या के बाद कहीं भाग जाती। 
कार्तिक जिन्दा नहीं रह सकती थी मैं। मेरी कोख में तुम आ गए थे। (सन्नाटा)
मालूम है , जब तुम्हारी हत्या के बाद मेरी हत्या हुई तो ये खबर आग से दावानल बन गया।  मेरे शरीर का भी पोस्टमार्टम हुआ और रिपोर्ट में आया की मैं गर्भवती  थी।  तीन महीने का गर्भ मेरे पेट में पल रहा था। अरे मेरे अब्बा को जाननेवाले , नहीं जाननेवाले लेकिन राजनीति करनेवाले लोगों ने चिल्लाना शुरू कर दिया - कसाई खान की बेटी के साथ बलात्कार होता रहा , इसीलिए उसने लड़के की हत्या कर दी और अपनी बेटी की भी जान ले ली। 
इतना बड़ा झूठ 
अरे इसे मजहबी रंग दे दिया। कसाई खान पांच वक़्त का नमाजी है , उसके साथ इन्साफ किया जाए। 
हे ईश्वर कैसी दिनिया में हमें पैदा किया 
पॉलिटिक्स है कार्तिक 
तुम्हें पता था न कि तुम हमारे बच्चे की माँ बननेवाली हो। 
हाँ , तभी तो अपनी हत्या होने दी।  वैसे भी आत्महत्या करनी पड़ती। 
पगली तूने अपनी हत्या कराकर एक और हत्या की।  
करनी पड़ी कार्तिक।  तुम्हारे बाद कुछ रहा भी नहीं मेरे पास। प्रेम या तो हासिल होता है या सबकुछ ख़त्म कर देता है। 
निम्मो , वो जो तुम्हारी कोख में था , उसकी रूह भी तो कहीं होगी। 
हाँ - शायद।  लेकिन वो कौन सा बोलना सीख गया था जो हमें कहीं से आवाज लगा देगा।  धरती पर होती तो वो मेरे कोख में पलकर इंसानी शक्ल में पैदा होता और फिर। ..... 
तुमने ऐसा होने दिया। 
गलत।  हम दोनों साथ जीना चाहते थे। याद है न , मस्जिद के पीछे हम दोनों ने एक दूसरे को कबूल किया था और फिर एक पीपल के पेड़ चारो ओर फेरे भी लिए थे। 
वो बच्चा तुम्हारी कोख में था ,
क्या पता बच्ची रही हो ,
अरे तो बेटी को बचाने  की कोशिश करती तो खुद भी जिन्दा रहती। 
कार्तिक ज्यादा इमोशनल मत बनो।  हम मर चुके हैं , बस तमाशा देखो।   देखो कैंडल  की रौशनी तुम्हारी तस्वीर पर पर रही है।  सब प्रार्थना कर रहे हैं। 
अरे इस जुलूस में मेरे चाचा भी हैं.  एकदम से इस तरह आँखें मूंदे हुए हैं मानों मंदिर में साधना कर रहे हैं। लेकिन मेरे ये चाचा तो कभी किसी के लिये समय नहीं खर्च करते थे। यहाँ कैसे आ गए ?
जेब में कुछ ठूसा होगा ngo वालों ने। समाज की भलाई के लिए उन्हें कुछ न कुछ तो करना ही पड़ता है।  अब देखना कुछ पत्रकार आगे आएंगे , तब वो कहेंगे मृतक का चाचा हमारे साथ हैं। फिर तुम्हारे चाचा तुम्हें याद करके रोयेंगे भी। 
अरे he was rare  face for me.  कभी कभार ही दीखते थे।  दूर के चाचा हैं। 
अब कितने नजदीक के हैं देखो ?
चाचा पत्रकार से - कार्तिक परिवार का सबसे प्यारा बच्चा था।  उसकी हत्या सामाजिक वैमनस्यता के कारन किया गया। मजहबी पागलपन के कारन उसकी हत्या की गयी। अब उसे राजनीतिक रंग से रंगा जा रहा है। अरे उस राक्षस ने अपनी बेटी की हत्या भी कर दी। मैं उसे गोद लेकर अपनी बेटी बनाता और एक खुशहाल जोड़ी के रूप में दोनों जिंदगी जीते।  हम इस कैंडल मार्च में इसीलिए आये हैं कि फिर कोई कार्तिक की तरह नहीं मारा जाय।  मजहबी लोगों को ऊपरवाला बुद्धि दे और कानून कड़ी से कड़ी सजा दे। 
(रो पड़ता है। )  
सच में निम्मो ये तो रो पड़े।  अरे उधर देखो मेरी और तुम्हारी दोनों की तस्वीर के साथ कैंडल मार्च -
लिखा है : मजहब नहीं सिखाता , आपस में बैर करना - तो फिर मजहब के नाम पर हत्या क्यों ?
कसाई खान को फांसी दो ?
इसमें कुछ चेहरे मुसलमानों के भी हैं , तुम पहचानती हो ?
हाँ होंगे ! Pseudo Secular ; अभी कोई मुल्ला घूरकी देगा तो होश ठिकाने आ जाएंगे।  टीवी पर गरमा गरम बहस हमारे बारे में ही चल रहा होगा।  चलो किसी के ड्राइंग रूम में चलकर देखते हैं। 
चलो। 


3

मौलवो टीवी पर :- कसाई खान को फांसी मिलनी चाहिए , लेकिन जनाब जिसकी बेटी का बलात्कार होता रहा हो तो बाप क्या कर सकता है , ये भी सोचना चाहिए। 
दूसरा गेस्ट  :- मौलवी चुप करें आप।  बलात्कार शब्द  वापस लें।  उन दोनों ने शादी की हुई  थी ये बात अब सब जानते हैं। 
मौलवी   :-    अरे कौन मानता है ऐसी शादी को। 
दूसरा गेस्ट :-  इंसानियत मानती है और नहीं मानने वाले गला रेतकर मार डालते हैं। और आप जैसा मजहबी उसपर मजहब का रंग चढ़ाते हैं।  पति को बलात्कारी साबित कर हत्यारे को जस्टिफाई करते हैं। 
मौलवी  :-   सिर्फ मैं ही नहीं कहता , आप और लोगों की भी सुनें। 
एंकर    :- आप दोनों कृपया शांत रहें , हमारे साथ कार्तिक के दोस्त अली और निम्मो की दोस्त अंजलि भी हैं , हम उनसे बात करते हैं। 
कार्तिक और निम्मो की आत्मा बात करने लगते हैं। 
निम्मो ये दोनों क्यों चैनल में आ गए ?
क्यों आ गए ये तो छोडो , चैनल वालों ने इन दोनों को ही क्यों बुलाया ?
ये दोनों भी मारे जाएंगे। यहाँ बोलेंगे कि हमारी शादी के ये गवाह हैं। 
अब कोई तुमपर बलात्कार का आरोप लगाएगा तो बोलना ही पड़ेगा। 
इन दोनों की मति मारी  गयी है।  हमें पता है ये दोनों मुहब्बत में हैं। 
फिर तो ये लव जिहाद का मामला बन जायेगा। अली मुस्लमान -अंजलि हिन्दू , लव -जिहाद 
शट अप निम्मो - इन दोनों को भी क्या हम मरने देंगे। 
जिन्दा लोग ही मारेंगे।  हम तो मरे हुए हैं। अच्छा सुनो तो सही , बोल क्या रहे हैं दोनों :=
अंजलि :- अपनी बात रखने से पहले मैं मौलवीजी से जानना चाहूंगी कि उनके कितने बच्चे हैं और कितनी बीबियों से ?
मौलवी :- मोहतरमा आप पर्सनल नहीं हो सकती।  आपको कोई हक़ नहीं है आप हमारी जिंदगी में झांकें और उसे सरेआम करने की कोशिश करें। ये गलत है। 
अंजलि :- मौलवी साहब कार्तिक और निम्मो की जिंदगी क्या पर्सनल नहीं थी।  उन दोनों की हत्या होने के बाद भी आप बेशर्मों की तरह कार्तिक को बलात्कारी ठहरा रहे हैं। मैं गवाह हूँ कार्तिक और निम्मो ने मस्जिद में निकाह की थी , पीपल के पेड़ के गिर्द फेरे लगाकर शादी की थी।  नापाक लोग बलात्कार का आरोप लगाकर हत्या को जस्टिफाई कर रहे हैं। 
मौलवी :-   बस बहुत हो गया।  ये सब सुनने के लिए मैं यहाँ नहीं आया हूँ।  जुबान पर लगाम दें मोहतरमा। 
अली :-    मौलाना साहब आप माफ़ी मांगे।  आपने कार्तिक को बलात्कारी कहा है। 
मौलाना :- सिर्फ मैं ही नहीं, बहुत सारे लोग कहते हैं - निम्मो के अब्बा कहते हैं। 
अली :- आप माफ़ी मांगे।  निम्मो का अब्बा हत्यारा है और जेल में है , उन्हें फांसी होगी।  आपने एक प्रेमी और पति पर घिनौना आरोप मढ़ दिया। माफ़ी मांगें आप।   
मौलाना :- नहीं मांगूंगा माफ़ी।  कभी नहीं मांगूंगा।  आप कार्तिक और निम्मो की निकाह को साबित कर दें - हम माफ़ी मांग लेंगे। 
अंजलि :-  फिर आप उन दोनों को जिन्दा भी कर देंगे और अपना भी लेंगे।  एक काफिर से निम्मो ने शादी की फिर भी। 
मौलाना :- अरे हम खुदा नहीं हैं , खुदा के बताये उसूलों पर चलने वाले हैं। 
एंकर  :-    मौलाना साहब किसी का खुदा नहीं कहता कि हत्या करो।  आपकी संवेदना कसाई खान की तरफ इसीलिए है कि उसकी बेटी ने किसी दूसरे धर्म के लड़के को अपना जीवन साथी चुन लिया था। 
मौलाना :- अरे जीवन साथी चुन लिया था या उसे बरगलाया जा रहा था। 
एंकर :-    इसी उलझन को मिटाने  के लिए कसाई खान ने दोनों की हत्या कर दी। 
मौलवी :-  मैं ऐसा कह रहा हूँ क्या ?
अली :-   आप चुप करें मौलाना जनाब।  बकवास न करें। हमने जिंदगी जी है कार्तिक के साथ। सच्चाई जानते हैं। एक ही देश में , एक ही मोहल्ले में , एक ही स्कूल कॉलेज ऑफिस में हम साथ साथ पलते बढ़ते और जीते हैं।  धर्म और मजहब के नाम पर और कितनी जानें लेंगे आपलोग ?
मौलाना :- अली मियां धर्म के नाम पर दंगे कौन फैलाता है - जानें कौन लेता है , बताऊँ क्या ?
अली :-  या अल्ला , बात को किधर मोड़ दिया /
एंकर :-   एक मिनट - अंजलि आपसे कुछ खास जानना चाहते हैं।  आप कार्तिक की फॅमिली फ्रेंड रही हैं और निम्मो की बेस्ट फ्रेंड भी। 
( अंजलि आंसू पोंछती है )
निम्मो और कार्तिक (आत्मा ) की बातचीत। 
चलो कार्तिक।  अब ये फ़्लैश बैक में जाएगी। क्या करना अपनी जिंदगी को टीवी पर देखकर। 
अली का गुस्सा , अंजलि का रोना - निम्मो सच में ये लोग हमसे इतना प्यार करते थे। 
जिन्दा लोग इमोशनल होते ही हैं कार्तिक। हम नहीं थे क्या ? चलो 
चलो। 


4